Top baglamukhi sadhna Secrets
Top baglamukhi sadhna Secrets
Blog Article
कल्प- द्रुमाधो हेम-शिलां प्रविलसच्चित्तोल्लसत्-कान्तिम् ।
Human is at risk of many problems and fears in his existence. The solution of all these is possible through acquiring initiation of Maa Baglamukhi.
हस्तैर्मुद्गगर – पाश -वज्र-रसनां संविभ्रतीं भूषणै –
४१. ॐ ह्लीं श्रीं मं श्रीकीलिन्यै नमः – जठरे (पेट में) ।
नमस्ते बगलां देवीं, शत्रु-वाक्-स्तम्भ-कारिणीम् ।
मुद्गरं दक्षिणे पाशं, वामे जिह्वां च विभ्रतीम्। पीताम्बर-धरां सौम्यां, दृढ-पीन-पयोधराम् ।।
चतुर्भुजी बगला (मेरु-तन्त्रोक्त) गम्भीरां च मदोन्मत्तां, तप्त-काञ्चन-सन्निभाम् । चतुर्भुजां त्रि-नयनां, कमलासन-संस्थिताम
४. ॐ ह्लीं श्रीं ईं श्रीमोहिन्यै नमः-वाम-नेत्रे (बाईं आँख में) ।
श्रीब्रह्मास्त्र कल्पोक्त सूर्य- मण्डल-स्थित श्रीबगला- मुखी का ध्यान
‘वलगान् कृत्या -विशेषान् भूमौ निखनितान् शत्रुभिर्विनाशार्थं हन्तीति वलगहा तां वलग-हनम् ।
भगवती बगला के अनेक ‘ ध्यान’ मिलते हैं। ‘तन्त्रों’ में विशेष कार्यों के लिए विशेष प्रकार के ‘ध्यानों’ का वर्णन हुआ है। यहाँ कुछ ध्यानों का एक संग्रह दिया जा रहा है। आशा है कि बगलोपासकों के लिए यह संग्रह विशेष उपयोगी सिद्ध होगा, वे इसे कण्ठस्थ अर्थात् याद करके विशेष अनुभूतियों को प्राप्त करेंगे। चतुर्भुजी बगला
१७. ॐ ह्लीं श्रीं कं श्रीभगाम्बायै नमः -दक्ष-बाहु-मूले (दाईं काँख अर्थात् दाएँ हाथ व कन्धे के जोड़ में)।
श्रीबगला विद्या का बीज पार्थिव है-‘बीजं स्मेरत् पार्थिवम्’ तथा बीज-कोश में इसे ही ‘प्रतिष्ठा कला’ भी कहते हैं।
ऋषि श्रीअग्नि-वराह द्वारा उपासिता more info श्रीबगला- मुखी